दृष्टिहीन व्यक्तियों की विशेषताएं
प्रत्येक व्यक्ति सांसारिक ज्ञान अपने ज्ञानेंद्रियों द्वारा अर्जित करता है आंख भी एक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्रिय है अगर हम किसी कारणवश देख नहीं पाते हैं तो हमारे लिए यह संसार एक अंधकार के समान हो जाता है। इसके साथ साथ एक अंधा व्यक्ति घर तथा समाज के लिए बोक्ष बन जाता है।
दृष्टि दोष बालों की विशेषताएं सामान्य लोगों से अलग होती हैं दृष्टि दोष बालकों की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से हैं।
भाषा विकास Language Development : अध्ययनों के पश्चात यह माना गया कि दृष्टिबांधित बालकों का भाषा विकास बंधित नहीं होता क्योंकि वह सुनकर ही ज्ञान प्राप्त करते हैं। श्रवण दोष बालकों के विपरीत इनका भाषा ज्ञान अच्छा होता है अगर इनमें दूसरे प्रकार के मानसिक दोष ना हो।
दृष्टि बंधित बालक बोलने बालो के हाव भाव को नहीं देख पाते हैं इनके बोलने की रफ्तार सामान्य बच्चों से कम होती है।
• दृष्टिबाधित बालक सामान्य बालकों की अपेक्षा धीमी गति से बोलते हैं
• ये बोलते समय शारीरिक व चेहरे के हाव भाव नहीं दर्शाते
• बोलते समय होठों को कम हिलाते हैं
• सामान्य बच्चों की अपेक्षा यह बालक कुछ अधिक ऊंचा बोलते हैं
• यह बालक प्राय एक ही प्रकार से बोलते हैं
• दृष्टि दोष को छोड़कर यह प्राय सामान्य बालकों की तरह ही होते हैं
शैक्षिक उपलब्धियां Educational Achievement: इनमें शैक्षिक उपलब्धियां प्राय सामान्य बालकों से कम होती है लेकिन कई केसों में यह पाया गया है कि इन बालकों की उपलब्धियां सामान्य बालकों से अधिक पाई गई हैं । इनकी बुद्धि लब्धि कम होने के कारण यह वस्तुओं को समझने में अधिक समय लेते हैं।
आंशिक दृष्टि दोष बालकों को मोटे प्रिंट की किताबों से या सुनकर ज्ञान प्राप्त करना पड़ता है।
जबकि पूर्ण दृष्टि दोष बालकों को सुनकर या ब्रेल लिपि के सहारे ही ज्ञान प्राप्त करना पड़ता है। इनको पढ़ने में काफी समय लगता है तथा इनको दूसरे के सहारे की आवश्यकता होती है।
शारीरिक समस्याएं Physical Problems : दृष्टि दोष का बच्चे के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ना ही बच्चे की ऊंचाई व वजन पर प्रभाव पड़ता है आंशिक या पूर्ण रूप से अंधे व्यक्ति को बाहर आने जाने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है वी आई बच्चों में अगर कोई शारीरिक या मानसिक दोष है तो फिर समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है।
व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन Individual and Social Adjustment : इन बालकों को घर तथा समाज में बोक्ष समझा जाता है इनको व्यक्तिगत तौर पर और सामाजिक तौर पर अपने आप को समायोजित करना काफी कठिन होता है यह समाज के लोगों पर निर्भर करता है कि वे दृष्टि दोष बालकों को किस नजर से देखते हैं। समाज का दृष्टिकोण इनके भविष्य का निर्माण निर्धारित करता है।
असुरक्षा की भावना Feeling of Insecurity : यह बालक जब माता पिता घर के अन्य सदस्यों व समाज के सदस्यों के व्यवहार को देखते हैं तो उनके मन को ठेस पहुंचती है और वह तनावग्रस्त हो जाता है मन में तनाव रहने के कारण उसमें असुरक्षा की भावना जन्म लेने लगती है ।अंध विद्यालयों में पढ़ने वाले बालकों में सामान्य स्कूल में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित बच्चों की अपेक्षा अधिक असुरक्षा की भावना होती है जो दृष्टिबाधित बालक जितने अधिक भावुक होते हैं वे उतने ही अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।
Comments
Post a Comment